Radha Krishna Full episode 31 july in Hindi




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Hello guys, very Good morning all of you and radhe radhe. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के 22 july episode मे तो चलीये शुरु करते है.



आज के episode मे दीखाया जायेगा की   सबसे पहले शंखनाद होता है सभी लोगों के द्वारा उसके पश्चात दिखाया जाता है कि जो द्रोपदी होती है तैयार हो रही होती है लेकिन उनका मन बहुत ही अती व्यतीत होता है और मन में यही सोच रही होती है कि मेरे लिए तो उसमें जितने भी राजा आए कोई भी पसद नहीं है.

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तब वहां पर शिखंडी आ जाती हैं और द्रोपदी से कहते हैं कि तुम्हें यह वाला हार नहीं यह वाला हार पहना चाहिए और कंगन को पहनना चाहिए तब शकुनि की चाल को बताते हो कि द्रोपदी तुम अभी तक शादी नहीं हुई हो तो मैं मुझे तो ऐसा लगता है कि यहां पर कोई भी वीर ऐसा नहीं है जो तुम से विवाह कर सके मैं तो यही चाहूंगी तुम अंगराज कर्ण और दुर्योधन में से किसी एक को चुन लो.


तब द्रोपदी कहती है कि मुझे उनमें से किसी को भी पसंद नहीं है. यह बात को सुनते हुए  Krishna  कहते हैं द्रौपदी का स्वयंवर है वह स्वयंम् ही यह निर्णय करेगी कि उसे किस से विवाह करना है क्योंकि द्रोपदी का जीवन के संग व्यतीत होने वाला है. यह बात को सुनते हुए शिखंडी चली जाती है 



दूसरी ओर दिखाया जाएगा कि सारे महाराजा राजा का स्वागत करते हुए राजा द्रुपद सब का सम्मान करते है. यहां तक कि पांच पांडव यानी कि ब्राह्मण के रूप में आए होते हैं. वह हवन करने लगते हैं और जो उनके जेष्ठ भाई होते हैं. उनसे सभी लोग आशीर्वाद लेते हैं. युधिस्टर अपने भाईओ से कहते हैं कि हमें यहां पर ऐसा कोई कार्य नहीं करना है जिसके कारण हम इस समय कोई दुविधा में फंस जाए क्योंकि हमने अपनी माता कुंती से कोई भी आज्ञा नहीं ली है. 

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सभी का सम्मान होने के पश्चात  Krishna  के सम्मान के लिए स्वयंम् राजा द्रुपद बहुत ही ज्यादा भव्य स्वागत करते हैं और स्वागत करते ही अर्जुन यानी कि पांचों के पांचो पांडव  Krishna  की ओर ही देख रहे होते. जब  Krishna  को वह देखते हैं.


तब उन्हें सारा दृश्य याद आ जाता है कैसे  Krishna  माधव बनकर उनके पास आए थे और कैसे बैक कुमार श्याम बन कर आए थे यह सारी बातें पांडव अपने पांचों भाइयों के संग मिल बैठकर कहते हैं और कहते हैं कि आखिर  Krishna  तो हमारी भ्राता ही है जिसके कारण  Krishna  को आज अर्जुन अपने भ्राता के रूप में अपनाएंगे मन ही मन में तब  Krishna  भी अपने आसन पर बैठ जाते हैं.


तब शुरू होता है राजा द्रुपद के द्वारा आयोजित किया हुआ महान स्वयंवर, स्वयंबर की यह विशेषता होती है कि द्रुपद ओम नमः शिवाय का जाप करते है ओर महादेव से स्वयंम् प्रार्थना करते हैं कि वह स्वयंम् वहां पर अपना आशीर्वाद प्रकट करे और धनुष वहां पर आ जाता है.



आकाश की ओर एक मछली दिखाई जाती है जिसकी आंख पर सभी को निशाना लगाना है और उस मछली के भेतन के लिए यह निर्णय किया गया होता है कि उसके ऊपर यानी कि आकाश के मार्ग में नहीं देखते हुए जल मार्ग में देखते हुए निशाना लगाना पड़ेगा.


तब यह सारी बातें सुनने के बाद जरासंध कहता है कि ऐसे कैसे हो सकता है. तब जरासंध को चुप कराते हुए द्रुपद कहते हैं कि क्षत्रियो के लिए कोई भी कार्य और कोई भी चुनौती कठिन हो उन्हें तो और भी ज्यादा आनंद आता है. 

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फिर सभी राजा और महाराजा आते हैं. तब कोई भी उस धनुष्य हिला तक नहीं पाता है अंत में दुशासन आता है तो दुशासन भी उसको एक बार भी हिला नहीं पाता है. तब वहां पर दुर्योधन को भेजा जाता है. जब दुर्योधन आता है तब  Krishna  कहते हैं यह मेरा सारथि बन सकता है लेकिन इसमें भक्ति एक भी मात्र नहीं है.

Star Bharat Radha Krishna Full episode 31 july


जैसे ही दुयोधन धनुष्य को उठाता है कि उसके भार से बैठकर जाता है जिसके कारण वह छोड़ देता है और उसकी हंसी स्वयंम् द्रोपदी बनाती है द्रोपदी की हंसी को स्वीकार करते हुए दुयोधन कहता है की चाहे कितना भी हस ले अंत में जाएगी तो हस्तिनापुर मेरे संग क्योंकि मेरा मित्र कर्ण तुझे जीत लेगा.



दूसरी ओर जब सभी लोग राजा महाराजा उस धनुष को नहीं उठा पाता है तब दुर्योधन कर्ण को भेजता और कर्ण पहले महादेव को प्रणाम करते हैं तब  Krishna  कहते हैं कि इसमें भक्ति और ज्ञान तो है अब यह देखना है कि यह इसका निर्णय कैसे करेगा तब वह धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हैोते है तभी वहा स्वयंम् द्रोपदी से  Krishna  कहते हैं कि स्वयंबर तुम्हारा है निर्णय भी तुम्हारा ही होना चाहिए.


तब द्रोपदी कर्ण को रोक देती है और कहती हैं कि मैं इन से विवाह नहीं कर सकती हूं क्योंकि मैं किसी के हाथ की कठपुतली नही कर सकती की मे किसी से भी विवाह नहीं कर सकती हूं क्योंकि अंगराज कर्ण का पूरी विद्या पूरा ज्ञान दुर्योधन के बस में है. जिसके कारण में ऐसा पति कभी नहीं चुनुगी. जो दूसरों के आधीन हो यह बात को सुनते हुए अंगराज कर्ण कुछ भी नहीं बोलते अंत में जब द्रोपदी कहती हैं कि यह सारी बातें तो ठीक है लेकिन बात और संप्रदाय के अनुसार करण तू सूत पुत्र है इसके कारण मैं सूत्त पुत्र से विवाह नहीं करूंगी.

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यह बात सुनते हुए अंगराज कर्ण वहां से लौट जाते हैं और यहां तक कि द्रोपदी उन्हें यह तक याद दिलाती हैं कि जो परशुराम ने उन्हें श्राप दिया था उसका क्या होगा तब है अंत में बैठ जाते हैं और अंत में द्रुपद बहुत ही ज्यादा चिंतित हो जाते हैं कहते हैं क्या यहां पर कोई भी ऐसा छत्रिय नहीं है जो मेरी पुत्री से विवाह करें?


बाद में  Krishna  कहते हैं कि ऐसा स्वयंबर जो कभी भी ना हो सके इसलिए आप सभी वर्णों के लिए यह अनुमति दीजिए कि मेरी पुत्री से विवाह के लिए इस प्रतिमा को चढ़ाए और मछली की आंख बंद था ना लगाएं यह बात को सुनते हुए जब द्रुपद मान जाते हैं तो सभी लोग सोचने लग गए.



इधर से अर्जुन और जो उनके बड़े भाई होते हैं उनके बीच में वार्तालाप होता है तब वहां पर अर्जुन बहुत ही ज्यादा उत्साहित हो जाते और अपने भाई की बात को नहीं मानते और उठते हैं और उठते ही वहां पर जाने लगते ही तब शकुनि कहता है कि अब ब्राह्मण होकर तुम एक धर्म के प्रतिज्ञा चलाओगे तब अर्जुन कहता है कि स्वयंबर द्रोपदी का है तो निर्णय भी शुरू द्रोपदी का ही होना चाहिए. अगर द्रोपति मना कर दे तो मैं यहां से चला जाऊंगा तब द्रोपति हां करती है और आज का एपिसोड खत्म हो जाता है.

Hostar Radha Krishna Full episode 31 july


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कल के एपिसोड की स्टोरी में एक दिखाया जायेगा कि यानी अगले हफ्ते के एपिसोड मे आप देखेंगे द्रौपदी के स्वयंवर में जो अर्जुन होते हैं. वह उस मछली का आवेदन कर देते हैं और जो द्रोपदी होती है. वह अर्जुन को माला चढ़ाती है . जय माल चढ़ाने के बाद में जब पांचों भाई जाते हैं अपनी माता कुन्र्ती के पास.


तब कुन्ती उनसे कहती हैं कि जो भी कुछ लेकर आए हो आपस में बांट लो यह बात को सुनते ही महाभारत का वह ट्रैक आने वाला है जो सभी को इंतजार कर आने वाला था दूसरी और हम आपको बता दें कि  Krishna  के लिए सारथी के रूप अर्जुन को ही चुना है.

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