Radha Krishna Serial Full Episode :10 Aug Radha Krishn - Krishn-Arjun Gatha, Krishna Convinces Kunti S2 - E23 - 10 August episode full episode in Hindi.
Hello guys, very Good morning all of you and Happy Janmastami. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के Krishna Convinces Kunti S2 - E23 - 12Aug episode मे तो चलीये शुरु करते है.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की अर्जुन कृष्ण से कहते हैं कि आप जाकर माता को मना लीजिए जाकर बस मैं आपसे यही चाहता हूं. अर्जुन की यह बात को सुनते कृष्ण बुआ कुन्ती को समझाने केलिए मान जाते है. फिर कृष्ण अकेले मे सोच रहे होते है तभी वहा राधा आती ओर कृष्ण से पुछती है की कृष्ण तुम क्या सोच रहे हो?
तब कृष्ण कौरंवो के द्वेष से बुआ कुन्ती अपने पुत्रो को खो ना दे इस बात का भय से वह पांडवो को हस्तिनापुर नही जाने दे रहे है. तब राधा कृष्ण से कहती हैं कि बुआ कुंती बहुत ही सुशील है और उन्हें अपने बच्चों की चिंता तो होगी. भले ही वह कैसी भी मां हो, मां तो मां ही होती है.
कृष्ण कहते हैं कि अब उन्हे मनाने का एक ही मार्ग है. वह प्रेम, मुझे बुआ कुंती को प्रेम से सिखाना पड़ेगा क्योंकि प्रेम ही सब कुछ सीख जाता है. दुसरी ओर बुआ कुंती सो रही होती है. तब उन्हे सपने मे पाडंवो को वह आशीर्वाद देते तब वहा कृष्ण आते ओर कहते की मे भी आपका पुत्र हु आप मुझे भी आशीर्वाद दीजिए ओर फिर उन्हे कृष्ण के जन्म से लेकर अब तक की सारी उनकी लिलाए दीखाई देती है.
फिर बुआ कुन्ती जाह जाती है ओर जाकर बाहर आती है. बाहर विदुर पाडंवो से विदाय लेकर जा रहे होते है. तब कुन्ती कहती है की पाडंवो हस्तिनापुर जब तक कृष्ण यहां पर आए हैं वह साक्षात् नारायण है जेष्ठ पुत्र है यह बात को मानते हुए कुंती जायेगे. यह सुनकर सब खुश हो जाते है.
फिर कुन्ती अर्जुन से पुछती है की कृष्ण कहा है? मुझे उनसे मिलना है. अर्जुन कहता है की वह रात्री मे वन की ओर गये है. कुन्ती वन की ओर जाती है. वहा पर कृष्ण ऐक पैड के निचे सो रहे होते है.
कुंती कृष्ण के जाती है और वहा रोती है. कुन्ती के आसु कृष्ण की पैड मे पडते है. जिससे कृष्ण उठ जाते है ओर कहते है की आप रो क्यो रही है. तब कुन्ती माधव से कहते हैं कि आज से मैंने सपने मे तुम्हें अपना पुत्र समझाया.
तुम्हारी माता बनकर मुझे दीव्यता आभास हुआ. आज मुझे पता चला की तुम्हारी कथा इतनी प्रचलित क्यो है. ससांर मे हर माता तुम्हारे जैसा पुत्रो की कामना क्यो करती है. मे तुम्हे प्रणाम करती हु. तब कृष्ण कहचे है की प्रणाम तो मुझे करना चाहिए आप क्यो कर रहे है.
कुन्ती कहती है की आप दीव्य है. आप सब कुछ जानते है. मुझे पुर्ण विश्वास है की तुम पाडंवो के साथ हो तो पाडंवो का कुछ नही हो सकता. इसलिए मे तुम्हे वचन देती हु की तुम कहोगे वही पांडव करेंगे.
अर्जुन पीछे से यह बात सुन लेते हैं और कुन्ती के जाने के बाद वहा बलराम आते है ओर वह कृष्ण से कहते है की बुआ कुन्ती तुम्हे ढुढ रही है ओर विदुर जी जा रहे है. हमे उन्हे विजाय करना है ओर तुम यहा से वहा भाग रहे हो? कृष्ण कहते है की विदुर जी को विदाय नही देनी इसलिए मे भाग रहा हु.
तब वहा पर अर्जुन कृष्ण के पास हाथ जोड कर रोते हुए आते है. कृष्ण अर्जुन से पुछते है की तुम्हारे आखो आसु क्यो आ रहे है? अर्जुन कहते हैं कि मेने आपकी ओर माता की बात सुनी है. आप सचमे दुर द्रष्टि रखते है. आपको सब कुछ पता है. आब सर्वग्राही है. आज से मे आपका भक्त हु.
कृष्ण है तो सब कुछ सभंव है. आप जो भी कहगो मे वही करुगा. यह कह कर अर्जुन कृष्ण को प्रणाम करता है.ओर वहा से चला जाता है. बलराम कहते हैं तुमने तो एक सारथी को ढूंढने की आवश्यकता थी लेकिन तुम्हें तो साथ मे एक परम भक्त भी मिल गया.
तब कृष्ण कहते हैं कि यह बिलकुल भी अच्छा नही हुआ. क्योकी एक भक्त कभी भी धर्म की स्थापना नही कर सकता. भक्त तो सुशील होता है. ऐक भक्त अपने मे ही भगवान को ढुढता है. किन्तु घर्म की स्थापना केलिए कठोर होना अनिवार्य है.
अर्जुन को कर्म को अपना भगवान मानना होगा. बलराम कहते है की कैसे? कृष्ण कहते है की यह बताने का नही बल्कि करके दीखाना होगा. बलराम कहते है की प्रतित हो रहा है की तुम धर्म स्थापना केलिए कोई महान कार्य करने वाले हो. मुझे ओर इस समस्त ससांर को उस समय की प्रतिक्षा रहेगी.
दूसरी ओर हस्तिनापुर मे समाचार मिलता है कि पाडंव समेत कुंती आ रहे है. यह बात को सुनते हुए दुर्योधन चला जाता है. और वह क्रोध मे सब कुछ तोडने लगता है ओर शकुनि को बुलाता है. दुर्योधन कहता है की आपकी सारी चाल कैसे उलटी हो रही है.
तब शकुनि कहता है की मुझे जिस बात का डर था वही हुआ. वह ग्वाला कृष्ण पाडंवो के साथ है. उसीने ही कुन्ती को मनाया होगा.
जब शकुनी कृष्ण के प्रति दूर वचन बोलता है तब कर्ण कहता है कि कृष्ण के प्रति आप दुर वचन ना कहिए. मे उससे स्वयम मिला हु वह एक बुद्धमानी ओर दुरविशी व्यक्ति है. तब दुर्योधन कहता है की कृष्ण पांडवों के समक्ष खड़ा है इसलिए वह भी मेरा दुश्मन है.
इधर दिखाया जाता है कि जितने भी लोग होते हैं मतलब की कुंती आदि जितनी भी होते हैं सब के एक नए रूप में आपको मतलब कि राजा राजसी वस्त्र के रूप में हस्तिनापुर जाने केलिए तैयार हो जाते है.
कृष्ण कहते है की हमे शीघ्र से शीघ्र गुप्त मार्ग से हस्तिनापुर पहोचना होगा कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जल्दी से जल्दी तो अपने साथी पादुकोण धारण करो अन्यथा विलंब ना हो जाए. तब कृष्ण
अर्जुन से कहते है की घाटी वन मार्ग से चलो. अर्जुन कहते है की वह अती विलंब मार्ग है. तब कृष्ण कहते हैं की मुझे एक किसी मिलने के लिए जाना है.
दुसरी ओर राधा लड्डू गोपाल की सेवा कर रही होती है. तभी वहा अयंक आता है ओर कहता है कि तुम उस कृष्ण की सेवा कर रही है किन्तु वहा यहां पर नहीं आएगा. तब राधा कहती है आज जन्माष्टमी का महोत्सव है मे कृष्ण को हर बार माखन खिलुती हु. ओर इसबार भी मे कृष्ण को अवश्य खीलाउगी. ओर आज का एपिसोड खत्म हो जाता है.
कल के एपिसोड दिखाया जाएगा कि दुर्योधन एक चारों तरफ आग लगा लेता है और वह अपना राज्य अभिषेक कराना चाहता है और उनके माता-पिता भी मान जाता है. इधर से श्री कृष्ण कहते हैं कि पार्थ शीघ्र से शीघ्र इस रथ को आगे बढ़ाओ अन्यथा कुछ अनर्थ ना हो जाए.
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