Star Bharat Radha krishn episode : 6 Aug Radha Krishn - Krishn-Arjun Gatha, Dilemma Strikes Draupadi S2 - E19 - 5Aug episode full episode in Hindi.
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Hello guys, very Good morning all of you and radhe radhe. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के Dilemma Strikes Draupadi S2 - E19 - 6Aug episode मे तो चलीये शुरु करते है.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की कुंती पाचो पांडवो को कहती है कि द्रोपति को देखे बिना कह देती है कि पांचों को आपस में बांट लो. जब कुन्ती पीछे मुड़कर देखती है तो वह एक कन्या यानी कि द्रोपदी को होती हैं.
द्रोपदी को देखते ही वह क्षमा मांगने लगती हैं. अर्जुन कहते हैं कि ऐसा नहीं हो सकता है हम माता की हर एक वचनों को मैं अपने मान रखते है. तभी धर्मराज कहते हैं कि हम चारों भाई संन्यास ले लेंगे जिसके कारण अर्जुन विवाह आप कर सकेगी. जिससे आपका वचन भी पूर्ण हो जाएगा यह बात को सुनते हुए अर्जुन कहते हैं कि ऐसे कैसे संभव हो सकता है.
तब द्रोपदी कहती हैं कि आपने ठीक नहीं किया है. आप मुझे पाचो मे बाटना चाहते है. आप ऐसा कैसे कर सकते है. द्रोपदी धर्मराज युधीशष्ठीर से पुछती तो वह कहते है की माता की हर ऐक वचन का हम मान रखते है. फिर द्रोपदी भीम, नकुल ओर सहदेव से भी पुछती है किन्तु कोई जवाब नही देता.
फिर कुन्ती द्रोपदी से क्षमा माग कर कहती है की यह ऐक भुल थी, मुझे नही पता था यह सब होगा. तब द्रोपदी कहती है की यदी यह भुल थी तो उसका पालन भी नही होगा. अब जिसने मेरा विवाह करवाया, जिसने मुझे योग्य मार्ग दीखाया अब वही मेरा न्याय करेगे.
आने दीजिए मेरे सखा Krishna को और मैं सखा Krishna की आज्ञा के बिना ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाऊंगी. अब वही बतायेगे की मे यहा रहुगी या मे अपने महल वापस चली जाऊगी.
फिर रात्रि होती है और रात्रि में द्रोपदी कोई भी अन्न - जल नहीं लेती है. तब द्रोपदी के सामने अर्जुन एक थाली में भोजन लेकर आता है. अर्जुन द्रोपदी से कहते हैं की तुमने पूरे दिन कुछ भी नहीं खाया है.
इसलिए द्रोपदी तुम खा लो लेकिन द्रोपदी कहती है कि मैं नहीं खा सकती जब तक सखा Krishna नहीं आएंगे. ना ही मैं किसी का निर्णय सुनूंगी और ना ही किसी का मुंह देखना चाहूंगी. फिर द्रोपति अंदर कक्ष में चली जाती है.
उसके बाद Krishna आ जाते हैं. Krishna को आते देखकर अर्जुन काफी खुश हो जाता है. फिर Krishna कुन्ती को प्रणाम करते है. कुंन्ती कहती है की काफी समय हो गया है तुम्हे देखे हुऐ. Krishna कहते है की अभी कुछ समय पहले ही हम मिले थे. मे माधव के रुप मे आपके हाथ का भोजन खाया था.
तब मेने आपको कुछ कहा था. तब कुन्ती याद करती तब उन्हे याद आता है की Krishna ने तब उनसे कहा था की भविष्य मे आप कुछ ऐसा ना बाट ने को कहना जिससे समस्त ससांर सकंट मे आ जा़ये. यह याज करते बुआ कुंती बहुत ज्यादा चौक जाती है.
तब अर्जुन बताते हैं की द्रोपदी के संग माता के वाक्यों के कारण अब हम क्या निर्णय लें. इसके लिए हमें आपकी प्रतीक्षा थी क्योंकि द्रोपदी आपके बिना कोई भी निर्णय लेने के लिए समक्ष नहीं है जिसके कारण आपसे अनुरोध करना चाह रही है.
जिसके कारण मैं आप से यही अनुरोध करूंगा कि द्रौपदी के कक्ष में जाए. वह आपका ही इंतजार कर रही है. तब Krishna जाते हैं. Krishna द्रोपदी से कहते हैं कि द्रोपदी तुम रो क्यों रही हो. तुम पहले पांडवों की सत्य को जान लो. यह तो विधि का खेल है. जिसे हमे निभाना ही पड़ता है.
तब द्रोपति रोते हुए कहते हैं कि ना ही किसी स्त्री के संग ऐसा कभी भविष्य में होगा और ना ही कभी होने वाला है और ना ही हुआ था. इसलिए मेरे संग ऐसा क्यों क्यों हुआ. तब Krishna कहते हैं कि यह अर्जुन ने तुम्हारे सुख के लिए इसने तुम्हारे पिता के घर पत्र तक भिजवा दिया है.
तुम अपने घर वापस जा सको. उसके बाद अर्जुन द्रोपदी से क्षमा मागता है. Krishna कहते है की तुम पांडवों को साधारण मत समझो. उनको हर एक प्राणी की चिंता होती है. जिसके कारण द्रोपदी तुम इतने चिंतित मत हुआ करो.
यह बात को सुनते हुए द्रोपति कहती है कि सखा बताइए मैं अगर करूं तो करूं क्या? तब Krishna कहते हैं कि मैं तो तुम्हारा माध्यम बन सकता हूं सारथि बन सकता हूं. लेकिन निर्णय तुम्हें ही तो लेना पड़ेगा.
यह बात को सुनते हुए द्रोपदी की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं. Krishna कहते हैं कि तुम अर्जुन को हर बातें बेझिझक बता देना क्योंकि अर्जुन को बेझिझक बातें बताने से अर्जुन में एक ऐसा नया परिवर्तन आने वाला है. जो भविष्य में मुझे भी आवश्यकता पड़ सकती है. यह बात को सुनते हुए आज का episode यही पे खत्म होता है.
कल के episode मे हम देखते है की अर्जुन Krishna को कहते है की आप सचमे दीव्य द्रष्टी रखते है. मेरे आपका दीव्य रुप देखा है. यह कह कर अर्जुन Krishna को प्रणाम करते है.
यह सब देखकर बलराम खुश होकर Krishna को कहते है की तुम्हे तो ऐक सच्चा सारथि चाहिए था किन्तु अब तुम्हे सच्चा भक्त भी मिल गया. किन्तु Krishna खुश नही होते वह कहते है की यह उच्चित नही हो रहा है. अर्जुन यह गलत कर रहा है.
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