Star Bharat Radha krishn episode : 14 August, 2020. Radha Krishn - Krishn-Arjun Gatha , Duryodhan's Unexpected Outburst S2 - E25 - 14Aug episode in Hindi.
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Hello guys, very Good morning all of you and radhe radhe. स्वागत हैं हमारी website radha krishna serial. जैसा की आपने title देखते पता चल गया है की what a we going to talk about क्या होने वाला है radha krishna serial के Duryodhan's Unexpected Outburst S2 - E25 - 14Aug episode मे तो चलीये शुरु करते है.
आज के episode मे दीखाया जायेगा की Krishna अर्जुन से कहते हैं कि पार्थ तेज चलाओ ताकि हम हसनापुर शीघ्र से शीघ्र पहुंच सके. इधर से दुर्योधन षड्यंत्र कर रहा होता है. वह अपना राज अभिषेक कराने के लिए सारी व्यवस्था कर लेता है और यहां तक कि राज्य अभिषेक में ब्राह्मण को भी ले आता है.
दुर्योधन ब्राह्मण को कहता है की जल्दी से जल्दी मंत्र पढो. ब्राह्मण कहता है हमे जल्दी नगी करनी चाहिए अन्यथा भगवान रुष्ट हो जायेगे. दुर्योधन कहता है की शीघ्र से शीघ्र तू मंत्र पढ़ अन्यथा मैं रुष्ट हो गया तो तुझे कोई नहीं बचा पाएगा.
उसके पश्चात दुर्योधन सिहासन पर जाकर बैठता है ओर वहा शकुनी जैसे ही राजमुकुट पहनने वाला होता है वह दुर्योधन तब वहां पर Krishna आ जाते हैं ओर कहते हैं की रुक जाईये इतनी शीघ्रता रात्रि के अंधकार में राज अभिषेक करा रहे हो.
इसका क्या अर्थ है तब Krishna के संग सभी लोग आ जाते हैं भीष्म पितामह, गुरु द्रोण और कुंती के पांचों पुत्र तब वहां पर सभी लोगों का एक ही सवाल होता है कि इतनी शीघ्रता क्यों है रात्रि कि इस अंधकार में क्यों प्रातः काल होते सूर्योदय के समय ही राज अभिषेक क्यों नहीं कराया?
तब महाराज बोल नही पाते तब शकुनी कहते है की आप कह दीजिए की राजा है आप जिसे चाहे उसे किसी भी समय भावी राजा बना सकते है. दुर्योधन भिष्म पितामह ओर द्रोर्णाचार्य से कहता है आप महाराज से यह नही पुछ सकते. आपने सिहासन की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली है.
लेकिन दुर्योधन श्री Krishna को अपमानित करते हुए कहता है कि आपको दुसरो के पारिवारिक मे हस्तशेप करने का कोई अधिकार नही है. आपको किसी ने आमत्रित नही किया इसलिए उच्चित होगा की आप यहा से चले जायेगे.
यह सुनकह अर्जुन क्रोधित हो जाता है ओर वह कहता है की आप माधव से यह कैसे कह सकते है. फिर भीम कहता है की यदी यहा युद्ध का स्थान होता तो तुम ऐसे वचन बोल ही नही पाते. तब युधिष्ठिर कहते है की Krishna को हमने पुरे मान ओर सम्मान के साथ अतिथि के रुप बुलाया है.
तब भीष्म पितामह कहते हैं कि Krishna को मैंने भी आमंत्रित किया था अब मुझे आमंत्रित करने के लिए अपने अतिथियों के आमंत्रित करने के लिए दुर्योधन से आज्ञा लेनी पड़ेगी यह कैसे संभव है महाराज?
महाराज कहते हैं कि मुझे पुत्र मोह में ऐसा कार्य किया था इसके लिए मुझे क्षमा कर दो तब Krishna कहते हैं कि नही महाराज आपको क्षमा मागने की आवश्यकता नही है. यह सब होने के बाद अब से बोलुगा ही नही आज के बाद जब ही बोलूंगा जब मुझ से आग्रह किया जाएगा.
अंत में सभी का निर्णय यही होता है कि पांडव भी तो आपके पुत्र समान ही है क्योंकि उनकी पूर्व पिता यानी कि पांडू वह भी तो राजा थे उसके पश्चात ही तो आप राजा बने हैं और जैस्ट होने के नाते दृष्टि राजा बनने चाहिए.
तब धृतराष्ट्र कहता है की तो मे क्या करु? भीष्म पितामह कहते है की यदी इस विषय मे हम मेसे किसी ने भी निर्णय लिया तो वह पक्षपात माना जायेगा. इसलिए निर्णय उसे लेना चाहिए जो बाहर का हो. जिसको आपके पुत्र ने बोलना बन्ध करवा दीया.
घुतराष्ट कहता है की तुम ठीक कह रहे हो. फिर धृतराष्ट्र Krishna से आग्रह करता है की इस विषय मे अब आप ही कुछ किजिए तब Krishna कहते है की इसके लिए आप चुनाव करवा इये. महाराज होने के नाते आप प्रजा, मंत्री सभी के निर्णयो को सुने ओर बाद आप दुर्योधन को भावि राजा बना दीजिए कोई आप पर प्रश्न नही करेगा.
धृतराष्ट कहता है की यही योगा राजा होने के नाते यह मेरा निर्णय है की मे समस्त प्रजा ओर मंत्रि से पुछकर निर्णय लुगा. तब दुर्योधन कहता है की सदी ऐसा है तो अभी सबको बुलाईये. तब शकुनी दुर्योधन को रोक कहता है की रुक जाव भान्जे.
अब मुहर भी चला गया है ओर अगला मुहरत दो दीन बाद का है. तब तक महाराज सबके से पुछ लेगे उसके बाद महाराज अपना निर्णय सुनाईगे. यह सुनकर दुर्योधन वहा से चला जाता है. फिर शकुनि पाडंवो को प्रणाम करके वो भी चला जाता है.
उसके बाद पाडंवो महाराज ओर भीष्म पितामह को प्रणाम करते है. धृतराष्ट्र Krishna से कहते है की मेरी आपसे ऐक ओर विनती है की जब तक इस विषय मे निर्णय नही आता आप यही पर रहीये. तब Krishna कहते है की अवश्य मे रहुगा.
उसके बाद अर्जुन Krishna को अपना कक्ष दीखाते है ओर अर्जुन Krishna से कहते है की आज जो दुर्योधन ने आपका अपमान किया मुझे इतना गुस्सा आया की यह बाण उसके शरिर मे भेद दु. तब Krishna कहते है की हमे अपनी भावनाओ को नियत्रिंत रखना चाहिए.
Krishna कहते है की हमे हमारे घर्म पर ध्यान रखना चाहिए ओर इस समय अर्जुन का घर्म मत करना है. ओर आज का episode यही पे खत्म होता है.
अगले हफ्ते के एपिसोड में दिखाया जाएगा कि Krishna शकुनि से साथ खेल रहे होते है ओर कहते है की नाही मे पाडंवो के साथ हु ओर नाही मे कौरंवो के साथ मे केवल घर्म के साथ हु. यह सुनकर शकुनि कहता है की तुम जरुर यहा पे विनाश लाओगे.
दुसरी ओर राज्य सभा मे सभी का निर्णय सुना जाता है तभी युधिष्ठिर खड़ा होकर कहेंगे कि इस राज्य के दो भाग कर दिए जाएं. यह बात को सुनते हुए अब अर्जुन का क्या निर्णय पुछते है तब अर्जुन गभरा जाता है. Krishna कहते है की पार्थ अपने हक को मागने का यही योग्य समय है.
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